kanchan singla

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ईश्वर के उपहार

प्रकृति एक उपहार है ईश्वर का दिया हुआ
मानव जीवन भी एक उपहार है ईश्वर का दिया हुआ
ये हवाएं, ये मौसम, ये फिजाएं
सब ईश्वर के दिए हुए उपहार ही हैं।

ईश्वर ने भेजा है हम सबको इन्हें
उपयोगी बनाने और संरक्षित रखने के लिए
लेकिन देखो मानव भूल गया इस बात को
अपने लिए मिले हुए उपहारों को कुचल दिया उसने
प्रकृति को हर दिन नुकसान पहुंचाता है
क्योंकि आगे बढ़ना ही अब उसके जीवन का उद्देश्य है।

जंगल काट दिए गए,
वृक्षों को जड़ों से उखाड़ दिया गया
जो बचाते थे हमें बाढ़ से, तूफान से
जीवन वायु देते थे, भोजन भी प्रदान करते थे
ईश्वर के दिए अमूल्य उपहार थे।

निर्मल जल की धारा बन नदियां बहती रहती थी
सुरीला संगीत बजता था कलकल कर गूंजता था
आज नदियां दूषित हैं, पीने के पानी की अब कमी है
जो जलधारा स्वछंद बहती थी 
आज वही मोल भाव से बिकती हैं
बाजारों की रौनक हैं
एक और उपहार मानव द्वारा दूषित है।

मानव अपने लालच में
हर दिन नीचे गिरता जाता है
ईश्वर के दिए उपहारों को
रोज कुलचता जाता है।।



ईश्वर के उपहार
प्रतियोगिता - 02 अप्रैल 2022
लेखिका - कंचन सिंगला
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9 Comments

Shnaya

03-Apr-2022 02:43 PM

Nice

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Shrishti pandey

03-Apr-2022 01:30 PM

Very nice

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Abhinav ji

03-Apr-2022 08:05 AM

Nice👍

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